उप्र/बिहार

उत्तर प्रदेश में लू का कहर, तीन दिनों में 54 मौतें

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लू का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। उत्तरी भारत इस समय लू की मार झेल रहा है। अरब सागर से उठे चक्रवाती तूफान बिपरजॉय के कारण यूपी में भी मौसम में बदलाव की संभावना जताई गई थी, लेकिन गंगा का मैदानी इलाका इस समय सूरज की तपिश की मार झेल रहा है। भीषण गर्मी और लू का प्रकोप जानलेवा साबित होने लगा है। तीन दिनों में ही 54 लोगों की मौत की सूचना है। भीषण गर्मी के कारण सैकड़ों लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पूर्वांचल में इस समय लू और गर्म हवाओं का असर सबसे अधिक दिख रहा है। यूपी के साथ पड़ोसी राज्य बिहार में 15 जून के बाद से 96 मौतें रिपोर्ट हुई हैं। यूपी के बलिया में लू के असर के कारण मौतों ने लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिश है। 54 लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बलिया जिला अस्पताल पहुंच कर रविवार को स्थिति का जायजा लिया। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि गर्मी और लू को लेकर राज्य भर में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

लू के कारण बलिया में हुई मौतों के बाद यूपी में अधिकारी सतर्क हो गए हैं। बुजुर्गों और विभिन्न प्रकार की हेल्थ प्रॉब्लम का सामना करने वाले लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। उन्हें दिन के समय घर के भीतर रहने को कहा गया है। धूप और गर्म हवाओं को लेकर लोगों की परेशानी बढ़ने की चेतावनी दी गई है। बिहार में भी स्थिति काफी खराब है। वहां के 15 जिले लू की चपेट में हैं। 10 जिलों में भीषण लू चल रही है। दो दिनों में 42 मौतें रिपोर्ट हुई हैं। दस्त और उल्टी के 200 मरीजों को पटना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां के दो अस्पतालों में 35 मौतें रिपोर्ट की गई हैं।

बलिया जिले में लू का प्रकोप काफी ज्यादा है। गर्म हवाओं के साथ ह्यूमिडिटी की अधिकता के कारण लोगों के बॉडी से पसीने के रूप में पानी निकल रहा है। हल्की सी लापरवाही इस स्थिति में मौत का कारण बन रही है। बलिया जिला अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक, तीन दिनों में 54 मौतें हुई हैं। यूपी के संक्रामक रोग निदेशक डॉ. एके सिंह ने कहा कि 15 जून को 23, 16 जून को 20 और 17 जून को 11 लोगों की मौत हुई। हालांकि, 60 फीसदी मौतों का कारण अन्य बीमारियों को बताया गया। वहीं, बुखार से 40 फीसदी मौत होने का कारण रहा है।

डॉ. सिंह ने कहा कि अधिकतर मरीजों को सीने में दर्द, सांस फूलने और बुखार की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके अलावा, इन मौतों के मामले बांसडीह और गरवार के विकास खंडों से सबसे अधिक आए हैं। उन्होंने कहा कि हम देखेंगे कि क्या अधिक लोग बीमार थे? बीमारी का कारण पता लगाने की कोशिश की जाएगी।

सरकार ने बलिया जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिवाकर सिंह को इससे पहले हटा दिया था। उन्हें उनके लापरवाही वाले बयान पर हटाया गया था, जिसके कारण क्षेत्र में दहशत फैल गई थी। उनके स्थान पर नियुक्त किए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके यादव ने कार्यभार संभालने के बाद कहा कि ज्यादातर रोगियों की मृत्यु अधिक आयु वर्ग के लोगों की हुई है। मृत्यु के कारणों में तेज बुखार, डायबिटीज, ब्लड प्रेसर, अस्थमा और पुरानी बीमारियां शामिल हैं। बुखार से मरने वालों के कारण ‘लू’ लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

डॉ. यादव ने कहा कि करीब 300 मरीजों को गर्मी के कारण विभिन्न बीमारियों के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि अप्रैल, मई और जून में आम तौर पर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। मानसून के कारण तापमान में गिरावट आती है। अप्रैल में गर्मी ने मुंबई में एक सरकारी कार्यक्रम में 13 लोगों की जान ले ली थी। इसके बाद कई राज्यों के स्कूलों में भीषण गर्मी को देखते हुए छुटि्टयों का ऐलान किया गया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker