छग/मप्र

World rescue dog Day पर पढ़िए रायपुर के ‘एनिमल वाटिका’ की कहानी

रायपुर. शहर की एक कॉल और दूसरी जिंदगी की शुरुआत। कुछ ऐसा ही काम कर रही है चंद्रखुरी स्थित ‘एनिमल वाटिका’। एक एनिमल रेस्क्यू संस्था, जिसकी फाउंडर कस्तूरी बल्लाल के नेतृत्व में अब तक हजारों घायल, बीमार और बेसहारा जानवरों को बचाया जा चुका है। इनमें सैकड़ों ऐसे हैं जिन्हें गोद दिलवा कर नए घर तक पहुंचाया गया। हर दिन संस्था की हेल्पलाइन पर कॉल्स आते हैं, लेकिन संसाधनों की सीमाएं उन्हें हर केस तक तुरंत नहीं पहुंचने देतीं। फिर भी टीम का प्रयास होता है कि जिन जानवरों की हालत गंभीर हो, उन्हें प्राथमिकता से बचाया जाए। 20 मई को वर्ल्ड रेस्क्यू डॉग डे मनाया जाता है। इस मौके पर पढ़िए फाउंडर कस्तुरी बल्लाल की कहानी।

चलने लगा वो, जो चल नहीं सकता था

रेस्क्यू के कुछ मामले सिर्फ भावनात्मक ही नहीं, चमत्कारी भी हैं। कस्तूरी बताती हैं, कई विकलांग डॉग्स को ऑर्थोपेडिक सर्जरी के बाद फिर से चलने लायक बनाया गया है। सदर बाजार में एसिड अटैक से झुलसे डॉग्स की रिकवरी इस काम के जज्बे की मिसाल है। राज्य का पहला ऊंट रेस्क्यू सेंटर भी हमने शुरू किया है, जिसमें घायल ऊंटों का भी सफल इलाज किया गया।

कभी रोकना भी पड़ता है ऑपरेशन

एनिमल वाटिका को फंडिंग प्रदेश की कंपनियों के सीएसआर और निजी दानदाताओं से मिलती है। लेकिन हर महीने ऐसा वक्त आता है जब फंड की कमी के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन रोकने पड़ते हैं। कस्तूरी कहती हैं, ऐसे वक्त में लोग खुद बीमार डॉग्स को हमारे शेल्टर तक लाकर सहयोग करते हैं।

रेस्क्यू नहीं, प्रेरणा बनते हैं ये ऑपरेशन

ऐसा नहीं कि शहरवासी हर बार मददगार साबित होते हों, लेकिन रेस्क्यू टीम का संयम ही अक्सर माहौल बदल देता है। जब हम ऑपरेशन के लिए जाते हैं, लोग प्रभावित होते हैं, कुछ तो बाद में वॉलंटियर बनने भी आते हैं। कस्तूरी की अपील है, अपने गली-मोहल्ले के किसी डॉग को ही अपनाइए। अगर रेस्क्यू किए गए डॉग्स को गोद लेना चाहें तो हमारे वॉट्सएप अडॉप्शन चैनल से जुड़ सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker