जीवन परिचय

Vineet Kumar Singh Birthday: छावा के कवि कलश एक्टर विनीत कुमार सिंह का जन्मदिन आज

Vineet Kumar Singh Birthday: ‘छावा’ के कवि कलश यानी एक्टर विनीत कुमार सिंह आज रविवार 24 अगस्त को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ, दोनों तरह से अभिनेता के लिए यह साल काफी खास है। विनीत कुमार सिंह चर्चित सितारों में शामिल हैं। मगर, इसके पीछे संघर्ष का एक दौर रहा है।

अभिनेता विनीत कुमार सिंह आज 24 अगस्त को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। यह साल उनके लिए काफी खास रहा है। फिल्म ‘छावा’ में कवि कलश की भूमिका से वे खूब छाए। फिर फिल्म ‘जाट’ और ‘रंगीन’ सीरीज में नजर आए। यह तो रही प्रोफेशनल फ्रंट पर बात। निजी जिंदगी में भी अभिनेता की ‘पदोन्नति’ हुई। वे पिता बने हैं। इस साल जुलाई में उन्होंने संतान के रूप में बेटे का स्वागत किया है। आज अभिनेता के जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं उनके बारे में…

वाराणसी में जन्म, डॉक्टरी की पढ़ाई के बाद बने एक्टर
विनीत कुमार का जन्म 24 अगस्त 1981 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ। उनका बचपन गंगा के घाटों और बनारस की जीवंत संस्कृति के बीच बीता। उनके पिता एक गणितज्ञ थे, जिनके अनुशासन ने विनीत को मेहनत सिखाई तो मां से कला और संगीत के प्रति लगाव मिला। विनीत को खेलों का भी शौक था। वे राष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल खिलाड़ी रहे हैं। स्कूल के नाटकों में हिस्सा लेना उन्हें पसंद था, लेकिन परिवार की ख्वाहिश उन्हें मेडिकल की पढ़ाई की ओर ले गईं। उन्होंने आयुर्वेद में एमडी की डिग्री ली और डॉक्टर बन गए। मगर, सिनेमा का जादू उन्हें बार-बार पुकारता रहा। आखिरकार, उन्होंने अपने जुनून को चुना और मुंबई का रुख किया।

विनीत की पहली बार मुंबई आने की कहानी दिलचस्प है। वे एक टैलेंट हंट शो में हिस्सा लेने आए थे। निर्देशक महेश मांजरेकर भी बतौर जज इस शो का हिस्सा थे। उन्होंने विनीत की प्रतिभा को पहचाना। साल 2002 में उन्होंने विनीत को फिल्म ‘पिताह’ में मौका दिया। हालांकि, यह फिल्म नहीं चली। फिर, 2003 में उन्होंने ‘हथियार’ और ‘चैन खुली की मैन खुली’ जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने मराठी, तमिल, और भोजपुरी फिल्मों में भी काम किया। विनीत ने सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। यह उनके संघर्ष का दौर था। फिर साल 2010 में मराठी-हिंदी फिल्म ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ उनकी जिंदगी में नई उम्मीद बनकर आई और विनीत के करियर को गति मिली।

फिल्म ‘सिटी ऑफ गोल्ड’ के दौरान विनीत की मुलाकात अनुराग कश्यप से हुई, जिन्होंने उन्हें 2012 में आई फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में दानिश खान की यादगार भूमिका दी। इस फिल्म ने विनीत को इंडस्ट्री में एक नई पहचान दी। बता दें कि विनीत, अनुराग कश्यप को अपना मेंटॉर मानते हैं। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के बाद विनीत ने बॉम्बे टॉकीज (2013), गोरी तेरे प्यार में (2013), अगली (2014), और बॉलीवुड डायरीज (2016) जैसी फिल्मों में सहायक किरदार निभाए। ‘मुक्काबाज’ विनीत के करियर का मील का पत्थर थी। इसमें उन्होंने पहली बार बॉक्स श्रवण सिंह का लीड रोल किया। उन्होंने इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग ली थी। फिर विनीत ने दास देव, गोल्ड, सांड की आंख, आधार और गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल में काम किया है। इस साल वे ‘छावा’ और ‘जाट’ जैसी फिल्मों में नजर आए।

विनीत ने ओटीटी की दुनिया में भी अपनी जगह बनाई। बार्ड ऑफ ब्लड (2019), बेताल (2020), और रंगबाज: डर की राजनीति (2022), घुसपैठिया (2024) में उनके किरदारों ने दर्शकों का दिल जीता। खास तौर पर रंगबाज ने उन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा सितारा बना दिया। इस साल रिलीज हुई उनकी सीरीज ‘रंगीन’ की भी काफी तारीफ हुई है। विनीत न केवल एक शानदार अभिनेता हैं, बल्कि एक कुशल लेखक भी। ‘मुक्काबाज’ की कहानी लिखने के अलावा उन्होंने कई स्क्रिप्ट्स पर काम किया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘लेखन मेरे लिए एक तरह की थैरेपी है। मैं जो किरदार जीता हूं, उन्हें पहले कागज पर उतारता हूं।’

विनीत कुमार सिंह की पर्सनल लाइफ की बात करें तो 29 नवंबर 2021 को उनकी शादी रुचिरा से हुई। शादी से पहले करीब आठ साल दोनों ने एक-दूसरे को डेट किया। दोनों शादी में सिर्फ 14 लोग आए थे। अमर उजाला संवाद में विनीत ने खुद यह खुलासा किया और कहा, ‘समाज की जो चीजें हम पर थोप दी जाती हैं, उसे निभाने में आधा जीवन निकल जाता है। मेरी शादी हुई तो सिर्फ 14 लोग गए, क्योंकि अपनी शादी के दवाब में पैसे का तनाव लेकर मुझे पांच और साल का संघर्ष नहीं जोड़ना था। अगर कुछ कार्ड कम छपेंगे तो आपकी मोहब्बत कम नहीं हो जाती। जो लोग उंगली उठा रहे हैं उन्हें पता ही नहीं कि आप किन परिस्थिति से गुजर रहे हैं। ऐसे रिश्ते नहीं चाहिए। ऐसा समाज बनाइए कि लोग छोटे और बड़े की नजर से देखना बंद करे’।

विनीत कुमार सिंह ने फिल्म ‘मुक्काबाज’ के वक्त अपना टीवी बेच दिया था। अभिनेता ने बताया, ‘तब पैसे-वैसे खत्म हो गए थे। तब से टीवी नहीं लिया। अब ले लूंगा। लेकिन जब था और टीवी खोलता था तो कुछ भी बकबक चलता रहता था। तब मैंने इस शब्द पर भी कुछ लिखा। रैप सॉन्ग ‘बकबक’।

विनीत कुमार सिंह ने ऐसा वक्त भी देखा, जब उनके पास पैसे नहीं होते थे। आज कई साल के करियर के बाद भी मुंबई में उनके पास अपना घर नहीं है। मगर, उन्हें इसका मलाल नहीं। विनीत का कहना है, ‘जो लोग जिम्मेदारी निभा रहे हैं वो कम से कम कुंठा के साथ तो न जिएं। बहुत वक्त ऐसा आया कि पैसे नहीं होते थे। पैसे एक व्यवस्था है। मैं कम नहीं हूं। सांस पूरी ले रहा हूं। मेरे अंदर का दम कम नहीं है। ईश्वर ने मेरे शरीर में उतनी ही हड्डियां दी हैं, जिनती बड़ी से बड़ी कुर्सी पर बैठे किसी शख्स को दी। मैं सपने छोटे क्यों देखूं। मैं रुकूंगा नहीं। इसी तेवर को लेकर चलता रहा। मुंबई में 13-14 साल हो गए, मेरे पास अभी भी घर नहीं है। हां, काम कर रहा हूं कि मेरे पास एक छत हो, क्योंकि यह बेसिक जरूरत है। लेकिन, मुझे यह कहने में शर्म नहीं आती’।

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