वेब स्टोरी

कवि कुमार विश्वास का वीडियो वायरल, माता सीता का भाई कौन है?

Mata Sita Brother Name: माता सीता की बहनें उर्मिला, मांडवी, श्रुतकीर्ति थीं. भाई के रूप में मंगल देव और लक्ष्मीनिधि का उल्लेख मिलता है. कुमार विश्वास ने तिनके को भी सीता का भाई बताया है.

वाल्मीकि रामायण में माता सीता की तीन बहनें- उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति का ज़िक्र मिलता है. बाल्मीकि ने उन्हें सीता के साथ ही राजा जनक के परिवार की बेटियों के रूप में प्रस्तुत किया है. ये बहनें रामायण की कथाओं में ज्यादा सक्रिय रूप से सामने नहीं आतीं, लेकिन उनकी मौजूदगी परिवारिक पृष्ठभूमि को समझने में मदद करती है. लेकिन, क्या आप माता सीता के भाई को भी जानते हैं. हालांकि इनका वर्णन रामायण में नहीं है. लेकिन कई अन्य भाषाओं में लिखी जाने वाली रामायण या धर्म ग्रंथों में जरूर मिलता है. वैसे तो कई जगह माता सीता के दो भाई मंगल देव और जनक के भाई के पुत्र लक्ष्मीनिधि बताए गए हैं. लेकिन प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने एक और भाई का जिक्र किया है. इस भाई की ओट लेते हुए सीता ने रावण को भी मुंहतोड़ जवाब दिया था. अब सवाल है कि आखिर सीता माता ने लंका में किसे अपना भाई बताया? आइए जानते हैं इस क्या कहते हैं कवि कुमार विश्वास-

मंगल देव ने माता सीता का भाई बन निभाईं विवाह की रस्में

धार्मिक कथाओं के मुताबिक, माता सीता के विवाह के समय सभी वरिष्ठ लोग मौजूद थे. देवलोक से देवता भी आशीर्वाद देने पहुंचे थे. वैदिक मंत्रों का जप के साथ विवाह की परंपराएं चल रहा थीं. फिर पुरोहित ने रस्में करने के लिए माता सीता के भाई को बुलावा दिया. अब सब सोचने लगे कि भाई के रूप में कौन खड़ा होगा।

इस विलंब को देखकर माता पृथ्वी भी दुखी हो गईं. तब मंगलदेव समारोह के बीच खड़े होकर बोले कि, यह रस्म मुझे निभाने दें. असल में वह थे जो वेश बदलकर आए थे. बता दें कि, पृथ्वी से माता सीता का जन्म हुआ और मंगल देव भी पृथ्वी के ही पुत्र थे. ऐसे में मंगल देव माता सीता के भाई हुए. वहीं, दूसरी कथा में राजा जनक के छोटे भाई के एक पुत्र लक्ष्मीनिधि को भी माता सीता का भाई बताया गया.

एक वीडियो में कवि कुमार विश्वास बहन और भाई का सुंदर प्रसंग बताते हैं. वे कहते हैं एक बहन सूपर्णखा है जिसे बदला पूरा होने की फिक्र है, फिर भाई का नाश ही क्यों न हो जाए. उसी वजह से रावण को सीता माता का हरण करना पड़ा था. वहीं, दूसरी तरफ माता सीता हैं जिन्होंने एक छोटे से तिनके को अपना भाई माना. कुमार कहते हैं कि, सीता हरण के बाद जब रावण उनके पास जाता है और कहता है कि मेरा प्रणय (प्रेम) प्रस्ताव स्वीकार कर लो. क्योंकि, उस राम में क्या रखा है वो तो जंगली है उसे मैं मार दूंगा.

इसके बाद भी जब माता सीता नहीं मानीं तो वह कहता कि मैं तुझे बल पूर्वक उठा लूंगा. इसपर माता सीता जिस चटाई पर बैठी थीं उसी से एक तिनका तोड़ा और कहा अरे मू्र्ख पहले इस तिनका को पार करके तो दिखा. बता दें कि, माता सीता भूमि से पैदा है इसलिए उनका नाम भूमिजा है. तिनका भी भूमि से पैदा है ऐसे वह सीता माता का भाई हुआ. कहा भी गया है कि ‘तृण धरि ओट कहति वैदेही, सुमिरि अवधपति परम सनेही’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker