उप्र/बिहार

10 सेकंड में नदी में समाया शिव मंदिर, लखीमपुर खीरी में बाढ़ का विकराल रूप

LakhimPurKhiri : लखीमपुर खीरी जिले के ग्रंट नंबर 12 गांव में शारदा नदी का कहर थम रहा है। यहां नदी लगातार कटान कर रही है। बृहस्पतिवार को गांव का प्राचीन शिव मंदिर 10 सेकंड में नदी में समाया गया।

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लखीमपुर खीरी के थाना फूलबेहड़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत ग्रंट नंबर 12 में शारदा नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। तेज कटान के चलते गांव का प्राचीन शिव मंदिर समेत पूरा परिसर नदी में समा गया। ग्रामीणों ने नदी में समाते मंदिर का वीडियो बना लिया। 

लखीमपुर खीरी जिले के ग्रंट नंबर 12 गांव में शारदा नदी का कहर थम रहा है। यहां नदी लगातार कटान कर रही है। बृहस्पतिवार को गांव का प्राचीन शिव मंदिर 10 सेकंड में नदी में समाया गया। 

लखीमपुर खीरी के थाना फूलबेहड़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत ग्रंट नंबर 12 में शारदा नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया। तेज कटान के चलते गांव का प्राचीन शिव मंदिर समेत पूरा परिसर नदी में समा गया। ग्रामीणों ने नदी में समाते मंदिर का वीडियो बना लिया। 

जानकारी के मुताबिक, कटान रोकने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से करोड़ों रुपये की लागत से कई परियोजनाएं चलाई गईं, लेकिन उनका असर यहां नजर नहीं आया। शारदा नदी की धार लगातार किनारे को काट रही थी, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल था।

निघासन एसडीएम राजीव निगम ने राजस्व टीम के साथ मौके का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के कुछ समय बाद ही शिव मंदिर का पूरा ढांचा नदी में समा गया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस इंतजाम किए जाते, तो इस धार्मिक धरोहर को बचाया जा सकता था।

शारदा नदी की कटान से ग्राम पंचायत ग्रंट नंबर 12 के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। पिछले करीब 20 दिन से यहां शारदा नदी कटान कर रही है। फसल समेत खेत भी कट रहे हैं। पिछले करीब एक सप्ताह से नदी तेजी से कटान करती हुई आबादी की ओर बढ़ रही है। बुधवार को शिवकुमार का मकान नदी में समा गया था। यहां अब तक एक-एक कर आधा दर्जन मकान नदी में समा चुके हैं। 

एक महीने से खेतों में भरा पानी, फसलों को नुकसान
गोला क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। रामनगरकलां, रामेश्वरापुर, बझेड़ा समेत दस से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी भरा है। एक महीने से लगातार पानी भरे रहने से गन्ने व धान की फसल का नुकसान बढ़ गया है।

किसानों ने बताया कि धान की फसल से तो उम्मीद छोड़ ही चुके हैं। गन्ने की फसल से थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन वह भी लगातार पानी भरे रहने से सूखने लगी है। क्षेत्र में हर साल बाढ़ का खतरा रहता है। इसलिए किसान गन्ने की खेती को प्राथमिकता देते हैं। आमतौर पर गन्ना बाढ़ में भी बच जाता है, लेकिन इस बार स्थिति अलग है। रबी की फसल की बोआई की चिंता भी किसानों को सता रही है। तहसील के अधिकारी क्षेत्र का दौराकर रहे हैं, लेकिन मुआवजे को लेकर कोई आश्वासन नहीं दे रहे हैं।

क्षेत्रीय लेखपालों का कहना है कि अभी कोई विशेष बाढ़ नहीं आई है, इसलिए मुआवजा नहीं दिया जा सकता। किसानों ने सरकार से बाढ़ और कटान से प्रभावित फसलों का मुआवजा देने की मांग की है, जिससे उनके परिवारों को कुछ राहत मिल सके।

तहसीलदार गोला भीमचंद ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुई फसलों का मुआवजा दिलाया जाएगा। अभी धान की फसल के नुकसान का सर्वेक्षण कराया जा रहा है। नुकसान के आधार पर मुआवजा राशि किसानों को दी जाएगी। गन्ने का सर्वे बाद में कराया जाएगा।

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