Naseeruddin Shah Birthday: 75 साल के हुए एक्टर नसीरुद्दीन शाह का, तीन बार जीत चुके नेशनल अवॉर्ड
Naseeruddin Shah Birthday: हिंदी सिनेमा में अतुल्य योगदान देने वाले दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का आज 75वां जन्मदिन हैं। ऐसे में उनसे जुड़े कुछ अहम और दमदार किरदारों के बारे में आपको बताते हैं।

नसीरुद्दीन शाह…एक ऐसा नाम जो जब भी सिनेमा के प्रभावशाली किरदारों की बात होती है, हमेशा जेहन में आता है। उनका जन्म 20 जुलाई 1950 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था। अपने लंबे करियर में उन्होंने जिस भी फिल्म में काम किया, उसमें अपने योगदान को हमेशा के लिए यादगार बना दिया। चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं उनके दमदार किरदारों के बारे में जिन्होंने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।
नसीरुद्दीन शाह ने साल 1980 में आई फिल्म ‘स्पर्श’ में एक दृष्टिहीन स्कूल प्रिंसिपल विष्णु की भूमिका निभाई, जो आत्मसम्मान और प्रेम की कश्मकश में उलझा रहता है। ये फिल्म साई परांजपे ने डायरेक्ट की थी और नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने प्रोड्यूस की थी।
1983 में आई ‘मासूम’ में नसीरुद्दीन शाह ने एक आम आदमी की भूमिका निभाई जिसे अचानक पता चलता है कि उसका एक नाजायज बेटा है। इस फिल्म को शेखर कपूर ने निर्देशित किया और देवकी बोस द्वारा प्रोड्यूस किया गया था।
1984 में फिल्म ‘पार’ में उन्होंने एक गरीब मजदूर का रोल निभाया जो समाज और सत्ता से टकराता है। यह फिल्म गौतम घोष ने डायरेक्ट की थी और NFDC ने प्रोड्यूस किया था। इस किरदार के लिए शाह को नेशनल अवॉर्ड मिला था।
राजाराम
1987 में आई फिल्म ‘मिर्च मसाला’ में उन्होंने एक दबे-कुचले चौकीदार की भूमिका निभाई जो जुल्म के खिलाफ खड़ा होता है। इस फिल्म को केतन मेहता ने निर्देशित और NFDC ने प्रोड्यूस किया था।
अमरसिंह
1993 में आई फिल्म ‘मांडवी’। राजस्थान के बैकड्रॉप पर आधारित इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने एक बूढ़े स्वतंत्रता सेनानी अमरसिंह का किरदार निभाया, जो मॉडर्न राजनीति से जूझता है। इसे प्रकाश झा ने डायरेक्ट किया और खुद ही प्रोड्यूस भी किया।
साल 1999 में आई फिल्म ‘सरफरोश’ एक्शन-थ्रिलर थी। इसमें नसीरुद्दीन शाह ने पाकिस्तानी जासूस गुलफाम हसन उर्फ ‘कैप्टन’ का रोल निभाया, जो अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों के दिलों में उतर जाता है। जॉन मैथ्यू मथान ने फिल्म डायरेक्ट की और टाइगर प्रोडक्शन ने इसे प्रोड्यूस किया।
मोहर अली
1997 की फिल्म ‘गोदाम’ में नसीरुद्दीन शाह ने एक ऐसे मजदूर का किरदार निभाया जो व्यवस्था से लड़ते हुए अपने आत्मसम्मान के लिए खड़ा होता है। यह फिल्म गोविंद निहलानी ने डायरेक्ट और NFDC ने प्रोड्यूस की थी।
गुरुजी
फिल्म ‘फिराक’ जो 2008 में आई थी, उसमें नसीरुद्दीन ने एक उदार मुस्लिम बुज़ुर्ग ‘गुरुजी’ का किरदार निभाया, जो सांप्रदायिक दंगों के बाद समाज में मेल-जोल की वकालत करता है। नंदिता दास की इस डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म को शिल्पा नाम्बियर और नंदिता ने मिलकर प्रोड्यूस किया।
श्रीकांत वर्मा
2008 की फिल्म ‘आमिर’ में एक रहस्यमयी आतंकवादी कनेक्शन के सूत्रधार के रूप में नसीर का किरदार बहुत प्रभावशाली था। फिल्म को राजकुमार गुप्ता ने डायरेक्ट किया और UTV स्पॉटबॉय ने प्रोड्यूस किया।
अब्बा
साल 2005 में ‘इकबाल’ फिल्म में भी उनके किरदार को काफी पसंद किया गया। इस मोटिवेशनल ड्रामा में नसीरुद्दीन शाह ने एक शराबी कोच का किरदार निभाया जो एक गूंगे-बहरों लड़के को क्रिकेटर बनाता है। नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म को सुभाष घई की मुक्ता आर्ट्स ने प्रोड्यूस किया था।
इन सभी किरदारों ने नसीरुद्दीन को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया। उनके सिनेमा को इसी योगदान के चलते उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया। उनके पुरस्कारों और सम्मान पर एक नजर डालते हैं।
साल 1967 में ‘अमन’ फिल्म में महज 7.5 रुपये की फीस के साथ उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। हालांकि उन्हें असली पहचान 1973 में श्याम बेनेगल की फिल्म ‘निशांत’ से मिली और फिर जो सिलसिला चला, उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
समानांतर सिनेमा से लेकर मेनस्ट्रीम तक में दबदबा
फिल्म ‘मंडी’, ‘जुनून’, ‘पार’ और ‘परजानिया’ जैसी फिल्मों ने उन्हें एक गंभीर और संवेदनशील अभिनेता के रूप में स्थापित किया। वहीं ‘मोहरा’, ‘इकबाल’ और ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ जैसी मुख्यधारा की फिल्मों ने साबित किया कि वो हर वर्ग के दर्शकों के दिल में जगह बना सकते हैं। उनके बारे में बेहद दिलचस्प किस्से भी हैं।
नसीरुद्दीन शाह का निजी जीवन
नसीरुद्दीन शाह साहब की पहली शादी मनारा सीकरी से हुई थी, जिससे उन्हें एक बेटी हीबा हैं। इसके बाद पत्नी से अलग होने के बाद उन्हें अपने से काफी छोटी रत्ना पाठक से इश्क हुआ। साल 1982 में उन्होंने रत्ना पाठक से शादी की और उनके दो बच्चे हैं- इमाद और विवान।
नसीरुद्दीन शाह अपनी बेबाकी और बिंदास स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। वो कभी भी अपनी राय रखने से घबराते नहीं। ऐसे में उन्होंने कई बार ऐसे भी बयान दिए जिसपर काफी विवाद हुआ।
नसीरुद्दीन शाह के विवादित बयान
अमिताभ बच्चन की फिल्मों पर की टिप्पणी (2010)
नसीरुद्दीन शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अमिताभ बच्चन ने कोई महान फिल्म नहीं की है, यहां तक कि ‘शोले’ भी सिर्फ एक मनोरंजक फिल्म थी, क्लासिक नहीं। उनकी इस टिप्पणी से बिग बी के प्रशंसकों में गुस्सा फैल गया था और उनकी काफी आलोचना हुई थी।
राजेश खन्ना को कहा ‘औसत अभिनेता’ (2016)
नसीर ने एक बयान में कहा कि 70 का दशक बॉलीवुड का सबसे औसत दौर था और राजेश खन्ना को उन्होंने एक औसत कलाकार कहा। यह बयान विवाद का कारण बना और राजेश खन्ना की बेटी ट्विंकल खन्ना ने सार्वजनिक रूप से इसकी आलोचना की। बाद में नसीर ने माफी भी मांगी।
‘मुसलमानों को डर में जीना पड़ता है’ (2018)
बुलंदशहर हिंसा के बाद साल 2018 में नसीर ने कहा था, ‘मुझे डर लगता है कि मेरे बच्चे मुस्लिम नाम होने की वजह से किसी भीड़ का शिकार हो सकते हैं।’ इस बयान को लेकर काफी विवाद हुआ और सोशल मीडिया पर उन्हें देश विरोधी तक कहा गया।
अनुपम खेर को बताया ‘जोकर’ (2020)
नसीर साहब ने अभिनेता अनुपम खेर को लेकर कहा था, ‘अनुपम खेर एक जोकर हैं और उन्हें गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।’ इस पर अनुपम खेर ने तीखा पलटवार करते हुए कहा था, ‘आपकी पूरी जिंदगी फ्रस्ट्रेशन से भरी रही है।’ ये विवाद कई दिनों तक चर्चा में रहा।
‘केरल स्टोरी’ और ‘कश्मीर फाइल्स’ पर टिप्पणी (2023)
नसीरुद्दीन शाह ने इन फिल्मों को मुस्लिम विरोधी प्रोपेगेंडा फैलाने वाली बताया। उन्होंने कहा कि ये फिल्में नफरत फैलाने के मकसद से बनाई गई हैं। इस बयान को लेकर उन्हें ट्रोल किया गया और देश के धार्मिक माहौल को लेकर उनकी मंशा पर सवाल उठे।