Amitabh Bachchan 83rd Birthday: बॉलीवुड के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन का आज 83वां जन्मदिन
Amitabh Bachchan Birthday Special: सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन आज अपना 83वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस खास मौके पर अमर उजाला ने अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड का ‘शहंशाह’ बनाने वाले निर्देशक व अभिनेता टीनू आनंद से खास बात की। इस दौरान टीनू आनंद ने बताया कि आखिर क्यों अमिताभ बच्चन को कहा जाता है महानायक?
अमिताभ बच्चन और टीनू आनंद की जोड़ी बॉलीवुड की यादगार जोड़ियों में शुमार है। ‘कालिया’, ‘शहंशाह’, ‘मेजर साब’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में टीनू आनंद ने अमिताभ के साथ काम किया और उन्हें बेहद करीब से जाना। 83वें जन्मदिन के मौके पर टीनू आनंद ने बताया कि अमिताभ की मेहनत का एक बड़ा कारण उनका भूतपूर्व आर्थिक संकट है। इस विशेष बातचीत में उन्होंने अमिताभ की मेहनत, अनुशासन और काम के प्रति उनके जुनून की कहानी साझा की। पढ़िए अमिताभ की कहानी टीनू आनंद की जुबानी…
अमिताभ को ‘सात हिंदुस्तानी’ का रोल मेरी सिफारिश पर मिला
‘मैं वही रोल करने वाला था जो अमिताभ ने ‘सात हिंदुस्तानी’ में किया। उस समय मैं ऑडिशन दे रहा था। तभी सत्यजीत रे ने कहा कि मैं असिस्टेंट डायरेक्टर बन सकता हूं। इसके बाद मैं के.ए. अब्बास के पास गया और कहा कि एक्टिंग के मौके कम हैं, इसलिए मैं डायरेक्शन करूंगा। अब्बास साहब बोले, ‘डायरेक्शन तुम्हारा क्षेत्र है। आगे बढ़ो।’ ये मेरे लिए आशीर्वाद था। बाद में अमिताभ को ‘सात हिंदुस्तानी’ का रोल मेरी सिफारिश पर ही मिला। मैं उस वक्त कोलकाता में काम कर रहा था और मुझे लगा ये लड़का कुछ अलग कर सकता है। फिल्म के डायरेक्टर के.ए. अब्बास पहले थोड़े हिचक रहे थे, उन्होंने अमिताभ के पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन को टेलीग्राम भेजा कि क्या उन्हें अपने बेटे को अभिनेता बनने में खुशी है। पिता ने ‘नो ऑब्जेक्शन’ कहा और फिर फिल्म का कांट्रैक्ट साइन हुआ।
अमिताभ उस वक्त सोच रहे थे कि जो भी पैसा उन्हें मिलेगा, वह अपने माता-पिता की जिम्मेदारियों में मदद के लिए देंगे। फिल्म की शूटिंग आसान नहीं थी। कुछ सीन दूधसागर के झरने पर फिल्माए गए, वहां पहुंचने के लिए माल गाड़ी में जाना पड़ता था क्योंकि सड़कें नहीं थीं। लेकिन अमिताभ ने कभी शिकायत नहीं की। अब्बास साहब कहते थे कि सेट पर वो सबसे अच्छे छात्र थे, हर निर्देश को पूरी तरह निभाते और हर सीख को याद कर लेते। इसके बाद अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।’
उनकी सबसे बड़ी पहचान, कभी हार न मानने वाला समर्पण
‘ये छोटी-छोटी घटनाएं ही दिखाती हैं कि अमिताभ में कितना जुनून और धैर्य था। अमिताभ की पहचान उनका समर्पण है। वो कभी हार नहीं मानते। मुश्किलें आएं या विरोध, हर बार वो मजबूती से निकलते। यही उन्हें सिर्फ अभिनेता नहीं, असली इंसान बनाता है।’
वो दिन जब कंपनी दिवालिया हुई और उनका सबसे बड़ा डर
‘मुझे लगता है, उनकी सबसे बड़ी चिंता वो दिन हैं जब उनकी कंपनी दिवालिया हो गई थी। वो दौर उनके लिए बहुत कठिन था। सिर्फ पैसों की वजह से नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी। वह दिन वो कभी नहीं भूलना चाहते और नहीं चाहते कि जिंदगी में फिर कभी ऐसा हो। शायद यही वजह है कि वो हर वक्त खुद को पूरी तरह काम में लगा देते हैं।’
सुबह से रात तक काम करने की उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासन
‘वो सुबह सात बजे उठते हैं, कभी-कभी उससे भी पहले। रात बहुत देर तक काम करते हैं। जब बाकी लोग थक जाते हैं तब भी वो रुकते नहीं। स्क्रिप्ट पढ़ते हैं, डायलॉग रिहर्स करते हैं, हर सीन, हर इमोशन, हर शॉट पर ध्यान देते हैं। यही उनका तरीका है डर और असफलता से लड़ने का। उन्होंने उस डर और चिंता को ऊर्जा, जुनून और अनुशासन में बदल दिया है। यही हर युवा और हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। ये सिर्फ काम नहीं है, यह उनका जीने का तरीका है।’
फिल्म के सेट पर क्रिएटिव मतभेद और समझदारी
‘एक बार फिल्म के दौरान मेरी अमिताभ के साथ बड़ी बहस हुई। मैं लगभग फिल्म छोड़ने ही वाला था। डायलॉग को वो बोलना नहीं चाहते थे और मैंने कहा, ‘ठीक है, मैं फिल्म छोड़ दूंगा।’ और मैं चला गया। लेकिन उन्होंने मुझे बुलाया और कहा, ‘ठीक है, ठीक है, मैं जानता हूं तुम बहुत जिद्दी हो। मैं तुम्हारे डायलॉग बोल दूंगा।’
‘इतने साल में कई छोटी लड़ाइयां हुईं, लेकिन मुझे खुशी है क्योंकि वो समझते हैं। मेरी जिद के पीछे मेरा काम के प्रति समर्पण है। मैं किसी को दखल नहीं देना चाहता और वो इसे समझते हैं। बहुत कम अभिनेता ऐसा समझते हैं, लेकिन अमिताभ समझते हैं। यही उनकी महानता है।’
एंग्री यंग मैन की छवि के पीछे असली अमिताभ
‘असली अमिताभ कभी उस छवि में खोते नहीं। फिल्मों और जिंदगी में वो न तो एंग्री यंग मैन हैं और न ही एंग्री ओल्ड मैन। आदमी बदलता है। पहले वो गुस्सैल रोल करते थे, लेकिन आज वे अलग-अलग और बेहतरीन रोल करते हैं। यही वो हैं, बहुमुखी, समर्पित, हमेशा बेहतर।’
उनकी ऊर्जा और मेहनत उनके डर और जुनून से आती है। वो डर कि सब कुछ खो सकता है, उन्हें रोकता नहीं बल्कि आगे बढ़ाता है। यही वजह है कि वो लगातार मजबूत और अद्भुत बने हुए हैं। हर युवा और हर व्यक्ति को इसे सीखना चाहिए। यही अमिताभ बच्चन हैं। थकने वाले नहीं, डरने वाले नहीं, अनुशासन और जुनून से भरे।’
83 साल की उम्र में भी असली ताकत सिर्फ स्टारडम में नहीं, मेहनत और जुनून में
‘सच्चाई ये है कि 83 साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन हमें दिखाते हैं कि असली ताकत सिर्फ स्टारडम या वाहवाही से नहीं आती। असली ताकत आती है भूतपूर्व हार और डर को अपने जुनून और मेहनत में बदलने की क्षमता से।’





