NDA से पासआउट होकर इंडियन नेवी में लेफ्टिनेंट बने छत्तीसगढ़ के भिलाई निवासी देवेंद्र साहू
भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र साहू ने भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट बनकर पूरे प्रदेश का मान बढ़ाया है। हाल ही में पुणे स्थित खड़गवासला स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में पासिंग आउट परेड हुई, जहां देशभर के कैडेट्स के साथ देवेंद्र ने भी गर्व से मार्च किया। इस परेड में पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने सलामी ली और युवाओं को ‘प्रेसिडेंट्स अवॉर्ड’ प्रदान किए। देवेंद्र बताते हैं कि उन्होंने दसवीं के बाद ही तय कर लिया था कि उन्हें फौज में जाना है। जब साथी छात्र इंजीनियरिंग या मेडिकल की तैयारी में जुटे थे, तब उन्होंने NDA की राह चुनी। रिसाली स्थित एक सीबीएसई स्कूल से पढ़ाई करने वाले देवेंद्र पहले ही प्रयास में NDA में चयनित हो गए।

उनकी रुचि शुरू से ही डेस्क जॉब की बजाय एक अनुशासित और जोशभरी जिंदगी में थी, इसलिए उन्होंने तीनों सेनाओं में से नौसेना को चुना। ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने वो सब सीखा जो एक फौजी अफसर को चाहिए चाहे वो फिजिकल एंड्योरेंस हो या मानसिक मजबूती। शुरुआती दिनों में अंग्रेजी भाषा उनके लिए चुनौती रही, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। रोज अंग्रेजी अखबार पढ़े, आईने के सामने बोलने की प्रैक्टिस की, और मोबाइल में खुद को रिकॉर्ड कर गलतियां पकड़ीं। उन्होंने कहा “फौज की भाषा अंग्रेजी है। वहां सीनियर से बात करनी हो या रिपोर्ट देनी हो, सही अंग्रेजी जरूरी है।

NDA की ट्रेनिंग सिर्फ शरीर को नहीं, सोच को भी गढ़ती है। देवेंद्र ने बताया कि उन्हें वहां ऑफिसर वाली जीवनशैली सिखाई गई, जैसे कि खाने के टेबल पर बैठने से पहले सीनियर से अनुमति लेना, नाइफ-फोर्क का सलीका, और टेबल मैनर्स। शुरुआत में उन्हें यह सब अजीब लगता था, लेकिन आज ये उनके व्यवहार का हिस्सा बन चुका है।।उन्होंने SSB इंटरव्यू का अनुभव भी साझा किया। वहां रूस-यूक्रेन युद्ध पर राय मांगी गई थी। देवेंद्र ने कहा, “मैं किसी एक पक्ष के साथ नहीं हूं। भारत जो भी नीति अपनाएगा, मैं उसी के साथ रहूंगा।” इंटरव्यू पैनल ने उन्हें बार-बार सीधा जवाब देने के लिए कहा, लेकिन वे अपने जवाब पर टिके रहे।
शारीरिक प्रशिक्षण भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। 20 से 25 किलो वजन के साथ 30-35 किलोमीटर दौड़ना, झील में तैराकी और सामूहिक टास्क पूरे करना ट्रेनिंग का हिस्सा था। “यहां कोई अकेले आगे नहीं जा सकता, पूरी टीम के साथ चलना होता है,” देवेंद्र ने बताया।उनकी मुलाकात एक दिन वर्तमान एयरफोर्स चीफ एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह से भी हुई। उन्होंने देवेंद्र को मोटिवेट करते हुए एक सिक्का भेंट किया और कहा “हमेशा वर्क-लाइफ में बैलेंस बनाए रखना। ना हमेशा गंभीर रहो, ना हर समय मस्ती में। मुस्कुराते हुए बड़े से बड़ा काम किया जा सकता है।”