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छत्तीसगढ़ में मंत्रियों की संख्या पर हाईकोर्ट ने फैसला टाला, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कांग्रेस कार्यकर्ता वासुदेव चक्रवर्ती ने याचिका में दावा किया कि संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) के तहत 90 सीटों वाली विधानसभा में अधिकतम 13 मंत्री ही हो सकते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में 14 मंत्रियों की नियुक्ति असंवैधानिक है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक समान मामले का अध्ययन करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया। अगली सुनवाई इसके बाद होगी। याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री और सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है।

राज्य सरकार ने दलील दी कि मंत्रिमंडल की संख्या से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के समय से लंबित है। सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि यह मामला अभी विचाराधीन है और अंतिम फैसला वहीं से आना चाहिए।

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट का मामला खारिज हो चुका है, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि 22 जुलाई 2020 को इसकी आखिरी सुनवाई हुई थी और यह अभी भी लंबित है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट इस मामले में तुरंत फैसला सुना सकता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण अंतिम निर्णय वहीं से होना उचित होगा। बता दें कि, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सामाजिक कार्यों का शपथपत्र मांगा था

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